गांधी और बुद्ध का पाठ !

🔸 भगवान  बुद्ध  की  अहिंसा  का  पाठ

महात्मा  गांधी  के  जीवनकाल  की  एक  घटना ।

गांधीजी  अपनी  पढ़ाई  के  लिए  लंदन  में  थे ।  अपने  मिलनसार  स्वभाव  के  कारण  उनके  अनेक  एशियाइ  मूल  के  एवं  फिरंगी  लोग  मित्र  बने  थे ।  उन  मेसे  कुछ  मित्रो  के  घर  गांधीजी  का  आना जाना  लगा  रहता  था ।  उन  मेसे  एक  फिरंगी  महिला  मित्र  भी  थी , जिनके  दो  छोटे  छोटे  बच्चे  थे ।

एक  दिन  गांधीजी  उस  फिरंगी  बहन  के  घर  गए  तो , उस  बहन ने  गांधीजी  से  कहा  कृपया  आज  के  बाद  आप  मेरे  घर  ना  आया  कीजिए ।  ये  सुनकर  गांधीजी ने  बड़ी  विनम्रता  पूर्वक  कहा ।  बहन , ये  घर  आपका  है , और  आपकी  इच्छा  का  मान  रखना  मेरा  कर्तव्य  है ।  सो  मैं  आज  से  आपके  घर  नही  आऊंगा ।  अब  आप  कृपया  मुझे  ये  बाताए  मुझ  से  ऐसी  क्या  गलती  हो  गई  जिसके  कारण  आप  मुझे  अपने  घर  में  प्रवेश  नही  दे  रही  ?

गांधीजी  के  इस  विनम्र शब्द  सुनकर  उस  महिला ने  जवाब  दिया  की , आप  रोज़ रोज़  मेरे  घर  पर  आकर  मेरे  बच्चो  को  बुद्ध  की  अहिंसा  का  पाठ  पढ़ाते  हो ।  आपके  प्रवचन  सुनकर  मेरे  बच्चे  मांसाहार  करने  से  मना  कर  रहे  है ।  रोज़  रोज़  शाकाहारी  भोजन  की  मांग  करते  है ।  हम  ठहरे  मांसाहारी  लोग  अब  मैं  अपने  बच्चो  को  रोज़  रोज़  शाकाहारी  पकवान  अलग  से  कैसे  बनाकर  दू  ?

गांधीजी  उस  महिला  की  व्यथा  सुनकर  उन्हें  नमस्कार  करके  वहाँ  से  रवाना  हो  गए ।

( संकलन - राजेंद्र गुरव )

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